ज्योतिष शास्त्र जानकारी हिंदी में
Jyotish Shastra : ग्रहों और सितारों को समझ कर उनका प्रभाव व्यक्तियो और राष्ट्र पर क्या पड़ता है उन संमभावना की भविष्यवाणी करना उसे ज्योतिष शास्त्र कहते है । ज्योतिष शास्त्र का मतलब आकाशीय पिंडों का प्रभाव हम पर सीधा पड़ता है संपूर्ण ब्रह्माण्ड पर पड़ता है । जैसे चंद्रमा का प्रभाव सीधा धरती के पानी पी पड़ता है ।
ज्योतिष शास्त्र का इतिहास
वेद काल से ही हो रहा ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन अथर्ववेद में तीन मंत्र ज्योतिष शास्त्र के बारे ही है
• पहला मंत्र है अथर्व वेद (19.7.1 )
• दूसरा मंत्र है अथर्व वेद (19.8.1)
• तीसरा मन्त्र है अथर्व वेद (19.8.2)
सिंधु घाटी सभ्यता में माना जाता है की वो लोग खगोलीय पिंडों के बारे में जानकारी थी।
ज्योतिष शास्त्र की जानकारी
व्यक्ति के जन्म का क्षण सदा ही उसके साथ रहता है। जन्म के क्षण का विशेष महत्व है क्योंकि यह बताता है कि जीवात्मा किन कर्मबीजों, प्रारब्धों व संस्कारों को लेकर किन और कैसे उर्जा-प्रवाहों के मिलन बिंदु के साथ जन्मी है। जन्म का क्षण इस विराट ब्राह्मंड में व्यक्ति को व उसके जीवन को एक विशेष स्थान देता है। यह कालचक्र में ऐसा स्थान होता है जो सदा अपरिवर्तनीय है और इनके मिलन के क्रम के अनुरूप ही सृष्टि, व्यक्ति, जंतु, वनस्पति, पदार्थ, घटनाक्रम इत्यादि जन्म लेते हैं इसी क्रम में उनका विलय-विर्सजन भी होता है।
राशि और उनके स्वामी नवग्रह उनका प्रभाव:
• सिंहराशि स्वामी सूर्य:आत्मविश्वास,पिता
• कर्कराशि स्वामी - चंद्रमा: मन, माता
• मेषराशि स्वामी - मंगल: शक्ति,
• मिथुनराशि स्वामी - बुध: बुद्धि, संचार
• धनुराशि स्वामी - गुरु: ज्ञान, धर्म
• वृषराशि स्वामी - शुक्र: प्रेम, कला
• मकरराशि स्वामी - शनि: कर्म,अनुशासन
• वृश्चिकराशि स्वामी - मंगल
• कुम्भराशि स्वामी -शनि:
• मीनराशि स्वामी - गुरु
• कन्याराशि स्वामी - बुध:
• तुलाराशि स्वामी - शुक्र:
ज्योतिष शास्त्र की जीवन में क्या मदत मिलती है
ज्योतिष शास्त्र में भी अलग शास्त्र है जैसे अंक ज्योतिष और फलित ज्योतिष इस तरह के और शास्त्र है इसमें ग्रहों की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है और अंक ज्योतिष में ग्रहों की गति और स्थिति की गणना की जाती है।ज्योतिष शास्त्र की जानकारी से जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है और भारतीय पंचांग की समय जानने में मदत करता है ।